2 विद्युत फ्लक्स तथा गौस की प्रमेय || हिंदी नोट्स || Kumar Mittal Physics class 12 chapter 2 notes in Hindi

2 वैद्धुत फ्लक्स तथा गौस की प्रमेय || हिंदी नोट्स || Kumar Mittal Physics class 12 chapter 2 notes in Hindi

2 वैद्धुत फ्लक्स तथा गौस की प्रमेय || हिंदी नोट्स || Kumar Mittal Physics class 12 chapter 2 notes in Hindi


क्षेत्रफल सदिश -

किसी पृष्ठ का क्षेत्रफल सदिश उस पृष्ठ के अभिलम्बवत बाहर की ओर, क्षेत्रफल के परिमाण के बराबर होता है।
अथवा
किसी पृष्ठ का क्षेत्रफल सदिश उस पृष्ठ के अभिलम्बवत बाहर की ओर तथा क्षेत्रफल के बराबर होता है।

$$A ⃗=A.n ̂ $$ जहां $n ̂ $ एकांक वेक्टर तथा $A ⃗$ क्षेत्रफल सदिश है।

घनकोण —

किसी गोले के पृष्ठीय क्षेत्रफल द्वारा गोले के केन्द्र पर अंतरित कोण को कहते हैं। इसे ω से प्रदर्शित करते हैं। इसका मात्रक स्टेरेडियन होता है।

कोण = चाप/त्रिज्या

$$dω={dA}/r^2 $$
यदि $dA=r^2$ तब $dω=1. $

अतः “1 स्टेरेडियन वह घन कोण है जो गोले के पृष्ठ के एक भाग द्वारा गोले के केन्द्र पर अंतरित किया जाता है। जबकि गोले का क्षेत्रफल उसकी त्रिज्या के वर्ग के बराबर हो।

अतः सम्पूर्ण पृष्ठ द्वारा गोले के केन्द्र पर अंतरित घनकोण -

$$ω=A/r^2 ={4πr^2}/r^2 $$
$ω=4π$ स्टेरेडियन

पुनः माना क्षेत्रफल अवयव $dA,n ̂ $ एकांक वेक्टर तथा $dA$ का अभिलम्ब से झुकाव $θ$ है तब —

$$ dω={{dA} ⃗ cosθ}/r^2 ={{dA} ⃗.n ̂}/r^2 $$

विद्युत फ्लक्स —

विद्युत क्षेत्र में स्थित किसी काल्पनिक पृष्ठ से होकर गुजरने वाली विद्युत बल रेखाओं की संख्या को विद्युत फ्लक्स कहते हैं। $ϕ_E$ इसे से प्रदर्शित करते हैं। विद्युत फ्लक्स अदिश राशि है।

स्केलर (अदिश) गुणन $E ⃗.dA ⃗$, क्षेत्रफल अवयव से होकर जाने वाला विद्युत फ्लक्स कहलाता है। माना किसी क्षेत्रफल अवयव $dA$ की स्थित पर विद्युत क्षेत्र $E ⃗$ है तब —

$$ϕ_E= ∫_A{E ⃗.{dA} ⃗ }$$
यदि वेक्टरों $E ⃗$ तथा $dA ⃗$ के बीच कोण $θ$ है, तब —
$$ E ⃗.{dA} ⃗=EdAcosθ $$
$$ ∴ ϕ_E= ∫_A {E ⃗.{dA} ⃗ }= ∫_A {EdAcosθ} $$
$$ ϕ_E=EdAcosθ , (∵∫_A dA=A) $$

Note: यदि फ्लक्स रेखाएं पृष्ठ से बाहर की ओर हैं तो विद्युत फ्लक्स धनात्मक तथा यदि फ्लक्स रेखाएं पृष्ठ के अन्दर की ओर हैं तो विद्युत फ्लक्स ऋणात्मक लिया जाता है।

विद्युत फ्लक्स $ϕ_E$ का मात्रक —

विद्युत फ्लक्स $ϕ_E$ का मात्रक = E का मात्रक × A का मात्रक
=(न्यूटन/कूलॉम) × मीटर$^2$
= न्यूटन-मीटर$^2$-कूलॉम$^{-1}$ $$=Nm^2 C^{-1}$$

विद्युत फ्लक्स $ϕ_E$ की विमा —

$ϕ_E$ की विमा = E की विमा×A की विमा
=(बल F की विमा/आवेश q की विमा)× मीटर$^2$
$$ =[MLT^{-2} ]/[AT] ×[L^2 ] $$
$$ =[ML^3 T^{-3} A^{-1} ] $$

विद्युत फ्लक्स के प्रकार -

विद्युत फ्लक्स दो प्रकार का होता है। एक यदि फ्लक्स रेखाएं पृष्ठ से बाहर की ओर हैं तो विद्युत फ्लक्स धनात्मक होता है तथा दूसरा यदि फ्लक्स रेखाएं पृष्ठ के अन्दर की ओर हैं तो विद्युत फ्लक्स ऋणात्मक होता है।

गौसियन पृष्ठ —

विद्युत क्षेत्र में स्थित कोई काल्पनिक पृष्ठ जिससे आवेश परिबद्ध रहता है, गौसियन पृष्ठ कहलाता है।
अथवा
किसी आवेश से परिबद्ध कोई बन्द काल्पनिक पृष्ठ, गौसियन पृष्ठ कहलाता है।

गौसियन पृष्ठ की विशेषताएं —

  1. यह एक बन्द पृष्ठ होना चाहिए जिससे कि उन बिन्दुओं के बीच जो पृष्ठ के भीतर हैं, पृष्ठ पर हैं अथवा पृष्ठ से बाहर हैं, के बीच स्पष्ट अन्तर किया जा सके।
  2. यह पृष्ठ उस बिन्दु से गुजरना चाहिए जहाँ पर वैद्युत क्षेत्र ज्ञात करना है।
  3. पृष्ठ की आकृति स्त्रोत के सममित होनी चाहिए, जिससे कि क्षेत्र पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर लम्बवत् हो तथा परिमाण में नियत हो।

गौस की प्रमेय अथवा गौस का नियम —

किसी बन्द पृष्ठ से गुजरने वाला वैद्धुत फ्लक्स , उस पृष्ठ से परिबद्ध कुल आवेश $q$ का $1/ϵ_0$ गुना होता है। इसे गौस की प्रमेय अथवा गौस का नियम कहते हैं।

यदि किसी बन्द पृष्ठ से परिबद्ध कुल आवेश $q$ है, तो इससे निर्गत कुल वैद्धुत फ्लक्स

$$ ϕ_E=q/ϵ_0 $$
परंतु $ ϕ_E=∮E ⃗.dA ⃗=E ⃗.A ⃗ $

यह गौस की प्रमेय का समाकल रुप है। जहां $ϵ_0$ निर्वात या वायु की वैद्धुतशीलता है।

गौस की प्रमेय अथवा गौस का नियम की उपपत्ति (कूलाम के नियम से) —

माना O केंद्र तथा $r$ त्रिज्या का एक गोलीय पृष्ठ है। जिसका क्षेत्रफल अवयव $dA$ है। जिसके कारण बिन्दु O पर घनकोण $dω$ है। बिन्दु O पर $+q$ आवेश रखा है। बिन्दु O से $r$ दूरी पर स्थित एक बिन्दु P पर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता $E$ है। $E$ तथा $dA$ के बीच का कोण $θ$ है।

बिन्दु P पर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता —
$$ E=1/{4πϵ_0} q/r^2 $$
$ dA ⃗$ से गुजरने वाला वैद्धुत फ्लक्स —
$dϕ_E= E ⃗ .dA ⃗=EdA cosθ$ {चूंकि $ A.B=AB cosθ$}
समी (1) और (2) से
$$ dϕ_E=1/{4πϵ_0} q/r^2 dAcosθ $$
सम्पूर्ण पृष्ठ A से होकर गुजरने वाला वैद्धुत फ्लक्स —
$$ ϕ_E= ∮{1/{4πϵ_0} q/r^2 dAcosθ} $$
$$ ϕ_E= ∮{1/{4πϵ_0} {dAcosθ}/r^2} $$
$ ϕ_E=q/{4πϵ_0} ∮{dω} $ {चूंकि $dω={dAcosθ}/r^2$}
$$ ϕ_E=q/{4πϵ_0}×4π $$
{चूंकि $∮dω=4π$}
$$ ϕ_E=q/ϵ_0 $$

यदि बन्द पृष्ठ A के भीतर अनेक बिन्दु आवेश क्रमशः $+q_1, +q_2, –q_3, –q_4, …, q_n$ हों, तो बन्द पृष्ठ से होकर गुजरने वाला कुल वैद्धुत फ्लक्स —


$$ ϕ_E=1/ϵ_0 [q_1+ q_2+q_3-q_4-q_5…] $$
$$ ϕ_E=1/ϵ_0 Σq $$

(1) अनन्त लंबाई के एकसमान सीधे तार के कारण वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता —

माना अनन्त लम्बाई $l$ का एक सीधा आवेशित तार है। जिस पर एकसमान रूप से धनावेश वितरित है। तार का रेखीय आवेश घनत्व $λ$ है। तार से $r$ मीटर दूरी पर स्थित बिन्दु P पर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है। हम $l$ लम्बाई के गौसियन पृष्ठ की कल्पना करते हैं।
तार का रेखीय आवेश घनत्व $λ=q/l$

$q=λl $ समी(1)

गौसियन पृष्ठ के तीन भाग $S_1 ,S_2,S_3,$ हैं।
वृत्तीय पृष्ठ $S_1$ से होकर गुजरने वाला वैद्धुत फ्लक्स —
$$ {ϕ_E}_1= E ⃗ .A ⃗= EAcosθ=EAcos90^0 $$
$ {ϕ_E}_1=0$ , { चूंकि $cos90^0= 0$}

वृत्तिय पृष्ठ $S_2$ से होकर गुजरने वाला वैद्धुत फ्लक्स —
$ {ϕ_E}_2=0 $ , { चूंकि $cos90^0= 0$}

वक्रपृष्ठ $S_3$ से होकर गुजरने वाला वैद्धुत फ्लक्स —
$$ {ϕ_E}_3= E ⃗ .A ⃗= EAcosθ=EAcos0^0 $$
${ϕ_E}_3= EA$ समी(1), { चूंकि $cos0^0= 1$}
${ϕ_E}_3= E(2πrl)$ समी(2)

अतः सम्पूर्ण गौसियन पृष्ठ से होकर गुजरने वाला वैद्धुत फ्लक्स —
$$ ϕ_E=(ϕ_E)_1+(ϕ_E)_2+(ϕ_E)_3 $$
$$ ϕ_E=0+0+ E(2πrl) $$
$ϕ_E= E(2πrl) $ समी(3)

परन्तु गौस की प्रमेय से —
$ϕ_E=q/{ϵ_0} $ समी(4)

समी(3) और (4) से —
$$ E(2πrl)= q/ϵ_0 $$
$$ E=1/{(2πrl)} q/ϵ_0 $$
समी(2) से q का मान रखने पर —
$$ E=1/{2πrl} {λl}/ϵ_0 $$
$$ E=1/{2πr} λ/ϵ_0 $$
$$ E=1/{2πr} λ/ϵ_0 ×2/2 $$
$ E=1/{4πϵ_0} {2λ}/r $ न्यूटन∕कूलाम

यहां से $E∝1/r$ अतः रेखीय आवेश के कारण वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता $(E)$, रेखीय आवेश से बिन्दु की दूरी $r$ के व्युतक्रमानुपाती होती है।

(2) एकसमान आवेशित अनन्त विस्तार की समतल चादर (प्लेट) के कारण वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता —

माना अनन्त विस्तार की एक समतल चादर (प्लेट) है। जिस पर समान रूप से धनावेश वितरित है। चादर (प्लेट) का पृष्ठ आवेश घनत्व $σ$ है। प्लेट से $r$ मीटर दूरी पर स्थित बिन्दु P पर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है। हम PP’ अक्ष में $(r+ r)$ लम्बाई के गौसियन पृष्ठ की कल्पना करते हैं।

प्लेट का पृष्ठीय आवेश घनत्व $σ=q/A$ , $ q=σA$ समी(1)

गौसियन पृष्ठ के तीन भाग $S_1, S_2, S_3,$ हैं। वृत्तीय पृष्ठ $S_1$ से होकर गुजरने वाला वैद्धुत फ्लक्स —
$$ (ϕ_E)_1= E ⃗ .A ⃗= EAcosθ=EAcos0^0 $$
$ (ϕ_E)_1= EA(1) $ , { चूंकि $cos0^0= 1$}
$$ (ϕ_E)_1= EA $$

वृत्तिय पृष्ठ $S_2$ से होकर गुजरने वाला वैद्धुत फ्लक्स —
$$ (ϕ_E)_2= E ⃗ .A ⃗= EAcosθ=EAcos0^0 $$
$ (ϕ_E)_2= EA(1), $ { चूंकि cos0^0= 1} $

वक्रपृष्ठ $S_3$ से होकर गुजरने वाला वैद्धुत फ्लक्स —
$$ (ϕ_E)_3= E ⃗ .A ⃗= EAcos90^0=EAcos90^0 $$
$ {(ϕ_E)}_3= EA(0) $ , { चूंकि $cos90^0= 0$}
$$ {(ϕ_E)}_3=0 $$

अतः सम्पूर्ण गौसियन पृष्ठ से होकर गुजरने वाला वैद्धुत फ्लक्स —
$$ ϕ_E={(ϕ_E)}_1+{(ϕ_E)}_2+{(ϕ_E)}_3 $$
$$ ϕ_E= EA+ EA+0 $$
$ ϕ_E=2EA $ , समी(2)

परन्तु गौस की प्रमेय से —
$ ϕ_E=q/ϵ_0 $ समी(3)

समी(2) और (3) से — $$ 2EA= q/ϵ_0 $$
समी (1) से q का मान रखने पर —
$ 2EA= { σA}/ϵ_0 $ { चूंकि $q=σA$ समी(1) से}
$$ E={σA}/{2Aϵ_0} $$
$ E= σ/{2ϵ_0} $ न्यूटन∕कूलाम

अतः स्पष्ट है कि अनन्त विस्तार की समतल चादर (प्लेट) की तचादर (प्लेट) के प्रेक्षण बिन्दु की दूरी $r$ पर निर्भर नहीं करती है।

(3) आवेशित चालक प्लेट के ठीक बाहर (निकट) वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता —

माना एक परिमिति मोटाई की चालक प्लेट है निर्वात में रखी है। आवेशित चालक प्लेट के भीतर कोई आवेश नहीं है। अतः इस प्लेट को आवेश की दो समतल प्लेटों 1 व 2 के तुल्य माना जा सकता है। माना आवेशित चालक प्लेट के ठीक बाहर (निकट एक ओर) स्थित बिन्दु P पर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है।

यदि चालक प्लेटों के दोनों पृष्ठों पर समान पृष्ठ आवेश घनत्व $σ$ हो तो —
प्लेट 1 के कारण बिन्दु P पर उत्पन्न वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता —
$E_1= σ/{2ϵ_0} $ न्यूटन∕कूलाम

प्लेट 2 के कारण बिन्दु P पर उत्पन्न वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता —
$E_2= σ/{2ϵ_0} $ न्यूटन∕कूलाम

चूंकि $E_1$ व $E_2$ की दिशा एक ही होगी। अतः बिन्दु P पर परिणामी वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता —
$$ E= E_1+ E_2 $$
$$ E=σ/{2ϵ_0}+σ/{2ϵ_0} $$
$$ E= {2σ}/{2ϵ_0} $$
$ E=σ/ϵ_0 $ न्यूटन⁄कूलाम

(4) समान पृष्ठ घनत्व की धन तथा ऋण आवेशित समांतर अचालक प्लेटों के बीच तथा बाहर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता —

माना दो बड़ी व समतल अचालक प्लेटें 1 व 2 क्रमशः धन आवेशित तथा ऋण आवेशित हैं। दोनों प्लेटें समांतर व निकट स्थित हैं। माना प्रत्येक प्लेट पर पृष्ठ आवेश घनत्व σ है। समांतर अचालक प्लेटों के बीच (निकट) किसी बिन्दु P तथा बाहर बिन्दु Q पर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है।

प्लेटों के बीच (निकट) किसी बिन्दु P पर — प्लेट 1 के कारण बिन्दु P पर उत्पन्न वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता —

$ E ⃗_1= σ/{2ϵ_0} $ न्यूटन∕कूलाम

प्लेट 2 के कारण बिन्दु P पर उत्पन्न वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता —
$ E ⃗_2= σ/{2ϵ_0} $ न्यूटन∕कूलाम

चूंकि $E ⃗_1$ तथा $E ⃗_2$ समान दिशा में हैं। अतः बिन्दु P पर वैद्धुत क्षेत्र की परिणामी तीव्रता —
$$ E ⃗= E ⃗_1+ E ⃗_2 $$
$$ E ⃗=σ/{2ϵ_0}+σ/{2ϵ_0} $$
$$ E ⃗= { 2σ}/{2ϵ_0} $$
$E ⃗=σ/ϵ_0 $ न्यूटन⁄कूलाम

प्लेटों के बाहर किसी बिन्दु Q पर — प्लेट 1 के कारण बिन्दु Q पर उत्पन्न वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता
$ E ⃗_1= σ/{2ϵ_0} $ न्यूटन∕कूलाम

प्लेट 2 के कारण बिन्दु Q पर उत्पन्न वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता
$ E ⃗_2= σ/{2ϵ_0} $ न्यूटन∕कूलाम

चूंकि $E ⃗_1$ तथा $E ⃗_2$ विपरीत दिशाओं में हैं। अतः बिन्दु Q पर वैद्धुत क्षेत्र की परिणामी तीव्रता
$$ E ⃗= E ⃗_1- E ⃗_2 $$
$$ E ⃗=σ/{2ϵ_0}-σ/{2ϵ_0} $$
$$ E ⃗=0 $$

अतः विपरीत आवेशित समतल प्लेटों के बाहर वैद्धुत क्षेत्र की परिणामी तीव्रता शून्य होती है।

(5) एकसमान आवेशित पतले गोलीय कोश के कारण वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता —

माना R त्रिज्या का एक गोलीय कोश है जिसका केन्द्र O है। गोलीय कोश पर $+q$ आवेश एकसमान रूप से वितरित है।

गोलीय कोश के बाहर वैद्धुत क्षेत्र के तीव्रता (जब $R< r$) — माना गोलीय कोश के बाहर $r$ दूरी पर बिन्दु P है जिस पर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है। हम गोलीय कोश के बाहर $r$ त्रिज्या के एक गौसियन पृष्ठ की कल्पना करते हैं जो बिन्दु P से होकर जाता है। यदि गोलीय कोश पर पृष्ठ आवेश घनत्व $σ$ हो तो —

पृष्ठीय आवेश घनत्व $σ=q/A ⇒ q=σA $
$ q=σ(4πR^2) $ समी(1)

माना गोलीय पृष्ठ पर क्षेत्रफल अवयव $dA$ है।
क्षेत्रफल अवयव $dA$ से गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स —

$$ dϕ_E=∫{E ⃗.A ⃗ }= EdAcosθ $$
$$ dϕ_E= EdAcos0^0 $$
$ dϕ_E= EdA(1)$ ,{चूंकि $cos0^0=1$}

$$ dϕ_E= EdA $$
अतः सम्पूर्ण गौसियन पृष्ठ से होकर जाने वाला विद्युत फ्लक्स —
$$ ϕ_E=∮{EdA} $$
$ ϕ_E= E (4πr^2) $ समी(2)

परन्तु गौस की प्रमेय से —
$ ϕ_E=q/ϵ_0 $ समी(3)

समी (2) और (3) से —
$$ E (4πr^2)= q/ϵ_0 $$
$$ E=1/{4πr^2} q/ϵ_0 $$
$$ E=1/{4πϵ_0} q/r^2 $$

Note : स्पष्ट है कि गोलीय कोश बिन्दु आवेश की तरह व्यवहार करता है अर्थात जैसे उसका समस्त आवेश उसके केंद्र पर स्थित हो।

समी (1) से q का मान रखने पर —
$$ E=1/{4πϵ_0} {σ(4πR^2)}/r^2 $$

$ E=σ/ϵ_0 {R^2/r^2} , $ समी(3)

गोलीय कोश के पृष्ठ वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता (जब $R = r$) — यदि बिन्दु P पृष्ठ पर है तब $R = r$ तथा गोलीय कोश के पृष्ठ द्वारा घेरा गया आवेश q है। तब समी (2) और (3) से —

$$ E (4πr^2)= q/ϵ_0 $$
$$ E=1/{4πϵ_0} q/R^2 $$
समी (1) से q का मान रखने पर —
$$ E=1/{4πϵ_0} {σ(4πR^2)}/R^2 $$
$ E=σ/ϵ_0 , $ समी (4)

गोलीय कोश के भीतर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता (जब $r < R$ हो) —

जब $r < R$ तो गोलीय कोश के गौसियन पृष्ठ द्वारा घेरा गया आवेश q, शून्य (0) होगा।
तब समी (2) और (3) से —

$$ E (4πr^2)= q/ϵ_0 $$
$$ E=1/{4πϵ_0} q/r^2 $$
$$ E=1/{4πϵ_0} 0/r^2 $$
$$ E=0 $$

अतः एकसमान आवेशित गोलीय कोश के भीतर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता शून्य (0) होती है।

(6) एकसमान आवेशित अचालक गोले के कारण वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता —

माना R त्रिज्या का एक अचालक गोला है। जिसके सम्पूर्ण आयतन में $+q$ आवेश एकसमान रुप से वितरित है। हमें गोले के केंद्र O से $r$ दूरी पर स्थित बिन्दु P पर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है।

गोले के बाहर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता (जब $r > R$) —

माना गोले के केंद्र O से $r$ दूरी पर एक बिन्दु P स्थित है जिस पर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है। हम $r$ त्रिज्या के एक गौसियन पृष्ठ की कल्पना करते हैं। माना $dA$ गौसियन पृष्ठ का एक क्षेत्रफल अवयव है। चूंकि ${dA} ⃗$ तथा $E ⃗ $ की दिशा समान व बाहर की ओर है।

यदि गोले का आयतन आवेश घनत्व $ρ$ हो तो —
पृष्ठीय आवेश घनत्व $ρ=q/V⇒ q=ρV $
$ q=ρ{(4/3 πR^3)} $ समी(1)

क्षेत्रफल अवयव ${dA} ⃗$ से गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स
$$ dϕ_E=∫{ E ⃗.{dA} ⃗}= EdAcosθ $$
$$ dϕ_E= EdAcos0^0 $$
$ dϕ_E= EdA(1) $ ,{चूंकि $cos0^0=1$}

$$ dϕ_E= EdA $$
अतः सम्पूर्ण गौसियन पृष्ठ से होकर जाने वाला विद्युत फ्लक्स —
$$ ϕ_E=∮EdA=E∮dA $$
$ ϕ_E= E (4πr^2) $ समी(2)

परन्तु गौस की प्रमेय से —
$ ϕ_E=q/ϵ_0 $ , समी(3)

समी (2) और (3) से —
$$ E (4πr^2)= q/ϵ_0 $$
$$ E=1/(4πr^2) q/ϵ_0 $$
$ E=1/{4πϵ_0} q/r^2 $ , समी(4)

Note : स्पष्ट है कि गोलीय कोश बिन्दु आवेश की तरह व्यवहार करता है।
समी(1) से q का मान रखने पर —

$$ E=1/{4πϵ_0} {ρ(4/3 πR^3)}/r^2 $$
$$ E= 1/{4πϵ_0} {ρ(4πR^3)}/{3r^2} $$
$ E=ρ/ϵ_0 (R^3/{3r^2})$ , समी(5)

गोले के पृष्ठ पर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता (जब $R = r$) —
यदि बिन्दु P पृष्ठ पर है तब $R = r$ , समी(4) में रखने पर —
$$ E=1/{4πϵ_0} q/R^2 $$
पुनः $R = r$ समी (5) में रखने पर —
$$ E=ρ/ϵ_0 R^3/{3R^2} $$
$$ E=ρ/ϵ_0 {R/3} $$

गोले के भीतर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता (जब $r < R$) —

माना बिन्दु P गोले के भीतर केन्द्र O से $r$ दूरी पर है। हम पुनः P से गुजरने वाले गौसियन पृष्ठ की कल्पना करते हैं। माना $dA$ गौसियन पृष्ठ का एक क्षेत्रफल अवयव है। चूंकि ${dA} ⃗ $ तथा $E ⃗ $ की दिशा समान व बाहर की ओर है।
क्षेत्रफल अवयव ${dA} ⃗ $ से गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स

$$ dϕ_E=∫E ⃗.{dA} ⃗= EdAcosθ $$
$$ dϕ_E= EdAcos0^0 $$
$ dϕ_E= EdA(1) $ , {चूंकि $cos0^0=1$}

$$ dϕ_E= EdA $$
अतः सम्पूर्ण गौसियन पृष्ठ से होकर जाने वाला विद्युत फ्लक्स —
$$ ϕ_E=∮EdA=E∮dA $$
$ ϕ_E= E (4πr^2) $ समी(1)

जब $r < R$ तो गौसियन पृष्ठ द्वारा घेरा गया आवेश $q’$ होगा। अतः गौस की प्रमेय से —
$ ϕ_E={q’}/ϵ_0 , $ समी(2)

समी (1) और (2) से —
$$ E (4πr^2)= {q’}/ϵ_0 $$
$$ E=1/{4πr^2} {q’}/ϵ_0 $$
$ E=1/{4πϵ_0} {q’}/r^2, $ समी(3)

चूंकि गोला एकसमान रूप से आवेशित है। अतः गोले का आयतन आवेश घनत्व —
$$ ρ=q/V={q’}/V $$
$ ρ=q/{4/3 πR^3}= {q’}/{4/3 πr^3} $ , समी(4)

$$ q/R^3 = {q’}/r^3 ⇒ q’R^3= qr^3 $$
$$ q’={qr^3}/R^3 $$
q’ का यह मान समी (3) में रखने पर —
$$ E=1/{4πϵ_0} {{qr^3}/R^3}/r^2 $$
$ E=1/{4πϵ_0} { qr}/R^3 $ , समी(5)

समी(3) से
$$ ρ=q/{4/3 πR^3} $$
$$ q=4/3 πR^3 ρ $$
$q$ का यह मान समी(5) में रखने पर —
$$ E=1/{4πϵ_0} {(4/3 πR^3)}{r/R^3} $$
$$ E=ρ/ϵ_0 r/3 $$ यह अचालक आवेशित गोले के भीतर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता का व्यंजक है।

गौस की प्रमेय से कूलाम के नियम का निगमन —

माना निर्वात में एक $+q$ आवेश बिन्दु O पर रखा है। बिन्दु O से $r$ दूरी पर एक अन्य बिन्दु P है। हम $r$ त्रिज्या के एक गौसियन पृष्ट की कल्पना करते हैं। बिन्दु P पर एक अल्प वैद्धुत क्षेत्र $E$ तथा क्षेत्रफल अवयव $dA$ है।
इस गौसियन पृष्ट से होकर जाने वाला सम्पूर्ण विद्युत फ्लक्स —

$$ ϕ_E=∮{E ⃗.{dA} ⃗ } $$
$$ ϕ_E=∮{EdAcosθ}=∮{EdAcos0°} $$
$ ϕ_E=∮{EdA} , $ {चूंकि $cos0^0=1$}
$ ϕ_E= E (4πr^2)$ समी(1)

परन्तु गौस की प्रमेय से —
$ ϕ_E=q/ϵ_0 $ , समी(2)

समी (1) और (2) से —
$$ E (4πr^2)= q/ϵ_0 $$
$ E=1/{4πϵ_0} q/r^2 $ , समी(3)

यह बिन्दु P पर वैद्धुत क्षेत्र की तीव्रता का व्यंजक है। यदि बिन्दु P पर एक अन्य $+q_0$ धन परीक्षण आवेश रखें तो $q_0$ पर लगने वाला बल —

$ F= Eq_0 $ , समी(4)

समी(3) से E का मान समी(4) में रखने पर —
$$ F=1/{4πϵ_0} q/r^2 .q_0 $$
$$ F=1/{4πϵ_0} {qq_0}/r^2 $$
यही कूलाम का नियम है।

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~~ End ~~

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